विष्णु नागर की कविताएं
विष्णु नागर विष्णु नागर की कविताओं में जो व्यंग्य है वह बेध देता है।इनमें हमारे समय का वह यथार्थ है जो विद्रूप है और विह्वल करने वाला है।उनकी यह शैली गद्य में भी उतनी ही मारक है जितनी कविता में।ये कविताएं इसका उदाहरण हैं कि कैसे व्यंग्य का इस्तेमाल कर कविता को प्रभावशाली बनाया जा सकता है। दलाल दलाल कभी ग़लत नहीं होते वे खरीदनेवाले के भी शुभचिंतक होते हैं बेचनेवाले के भी वे सकारात्मक होते हैं वे काले को भी उतना ही अच्छा बताते हैं जितना सफेद को पीले, नीले, हरे, गुलाबी के भी वे प्रशंसक होते हैं वे दोनों से अंतरंग होकर दोनों की हिम्मत बढ़ाते हैं दोनों से कमाते हुए दोनों को सुखी -समृद्ध देखना चाहते हैं दलाल कभी विफल नहीं होते दलाल कभी ग़लत नहीं होते हवा पानी रोशनी से भी ज्यादा जरूरी होते हैं दलाल। समय कल पत्ते भी जिनकी इजाजत से हिलते थे आज जंगल के जंगल उजड़ जाते हैं उन्हें खबर तक नहीं होती। कवि की मुश...