नीलेश रघुवंशी की कविताएं
नीलेश रघुवंशी नीलेश रघुवंशी की कविताएं अपनी कहन शैली,विषय वस्तु और भंगिमा के कारण समकालीन कविता में एक अलग स्थान बना चुकी हैं। यहां प्रस्तुत कविताएं इसका उदाहरण हैं। नीलेश रघुवंशी की कविताओं में स्त्री कविता का एक ऐसा मुहावरा है जो स्त्री के स्वप्न और संघर्ष को रेखांकित भी करता है तो उसमें दीनता का भाव नहीं है।यहां गर्व और आत्मविश्वास की जड़ें बहुत गहरी हैं। साँकल कितने दिन हुए किसी रैली जुलूस में शामिल हुए बिना दिन कितने हुए किसी जुल्म जोर जबरदस्ती के खिलाफ नहीं लगाया कोई नारा हुए दिन कितने नहीं बैठी धरने पर किसी सत्याग्रह, पदयात्रा में नहीं चली जाने कितने दिनों से ‘कैंडल लाईट मार्च’ में तो शामिल नहीं हुई आज तक तो क्या सब कुछ ठीक हो गया है अब ? इन दिनों क्या करना चाहिए ऐसी ही आवाज़ों के बारे में बढ़-चढ़कर लिखना चाहिए ‘चुप’ लगाकर घर में बैठे रहना चाहिए या इतनी जोर से हुंकार भरना चाहिए कि निर्लज्जता से डकार...